विधानसभा किसे कहते हैं - who is the assembly

विधानसभा जिसे निचला सदन भी कहा जाता है। यह सभी राज्यों मे मौजूद होता हैं। जिसके सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं। कई राज्यों में उच्च सदन और निम्न सदन दोनों होते हैं। विधान परिषद को उच्च सदन तथा विधान सभा को निचली सदन कहा जाता है। विधानसभा सभी राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेश में स्थित होती है।

विधानसभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है। आपातकाल के समय सत्र को बढ़ाया या भंग किया जा सकता है। विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी केन्द्रीय चुनाव आयोग की होती है। 

विधानसभा किसे कहते हैं

विधान सभा भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक विधायी निकाय है। 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में यह विधायी निकाय मौजूद है। जबकि 6 राज्यों में उच्च सदन और निम्न सदन दोनों है। 5 केंद्र शासित प्रदेश भारत की केंद्र सरकार द्वारा सीधे शासित होते हैं और इनका कोई विधायी निकाय नहीं होता है।

विधान सभा के प्रत्येक सदस्य को एकल-सदस्य निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा 5 साल के कार्यकाल के लिए सीधे चुना जाता है। भारत के संविधान में कहा गया है कि एक राज्य के विधान सभा में 60 से कम और 500 से अधिक सदस्य नहीं होने चाहिए। 

हालांकि गोवा, सिक्किम , मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेशों इसके अपवाद है। पुडुचेरी में 60 से कम सदस्य हैं। राज्यपाल के अनुरोध पर आपातकाल की स्थिति में राज्य के विधान सभा को भंग किया जा सकता है।

विधान सभा के सदस्य को प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। भारत के संविधान के अनुशार एक विधानसभा में 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते। एक अधिनियम के द्वारा: केंद्र शासित प्रदेश में राज्यपाल 1 सदस्य को अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है।  

विधानसभा का कार्य

विधानसभा का कार्य राज्य के लिए नियम बनाया और विकाश कार्य पर चर्चा करना और राज्य को विकाश के पथ पर आगे बड़ाना होता हैं। विधानसभा के सदस्य सभा मे बैठते हैं। धन विधेयक हमेशा विधानसभा मे ही प्रस्तुत किए जाते है और उच्च सदन या विधानपरिषद् केवल इस विधेयक को 14 दिनों तक रोककर रख सकती है। इस विधेयक को पास करना विधानसभा के ऊपर निर्भर राहत हैं। और इसे पहले निम्न सदन मे ही पहले पेस किया जाता हैं।

सामान्य विधेयक दो सदन वाले राज्यों मे किसी भी सदन मे पेस किया जा सकता है। और पास होने के बाद दुसरे सदन को भेजा जाता हैं। जैसे विधेयक विधानपरिषद् में पारित होने के बाद विधानसभा को भेजा जाता है। या विधानसभा में पारित होने पर विधानपरिषद् मे भेजा जाता है। 

विधानपरिषद् की शक्तिया सिमित होती हैं। वह किसी विधेयक को संसोधन के लिए फिर से विधानसभा में भेज सकती है। लेकिन पूरी तरह से ख़ारिज नहीं कर सकती। 

यदि विधानसभा में संशोधन के लिए भेजे गए विधेयक को दुबार उसी रूप मे पारित करती है तथा विधानपरिषद् उसे अस्वीकृति या लंबित रखती है। तो जिस रूप मे विधानसभा मे उसे पारित किया है। उसे रूप में पारित माना जाता है। 

विधानसभा के सदस्य अपने कार्यों के लिए सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। विधानसभा के सदस्य प्रश्नकाल के समय एक दूसरे से प्रश्न पूछ सकते है तथा उत्तर  है। 

वित्त विधेयक पहले विधानसभा मे पस्तुत किए जाते है, इसके बाद ये विधानपरिषद् को प्रेषित किए जाते है। विधानपरिषद् 14 दिनों के भीतर विधेयक को पारित कर विधानसभा को भेज देती हैं। 

विधानसभा अध्यक्ष के कार्य

विधानसभा में एक अध्यक्ष होता हैं। जो विधानसभा सचिवालय का प्रमुख होता है। जिसे संविधान द्वारा व्यापक अधिकार प्राप्त होते हैं। सभा के परिसर में उनका पद सर्वोच्च होता है। सभा की व्यवस्था बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी होती है। सभा में अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष सभा संभालती हैं। अध्यक्ष सभा के वाद-विवाद में भाग नहीं लेते हैं।

Related Posts