मानव भूगोल क्या है - manav bhugol

मानव भुगोल, भुगोल की एक महत्वपुर्ण शाखा है। मानव भुगोल दो शब्दों मानव + भगोल से मिलकर बना है। मानव अर्थात स्री /पुरुष भगोल अर्थात पृथ्वी का अध्ययन करने वाला विज्ञान। इस प्रकार वह विज्ञान अथवा विषय जो पुथ्वी तल पर विद्यमान मानव का अध्ययन करता होै, मानव भूगोल कहलाता हैं।

मानव भूगोल में मानव को केन्द्र मानकर आर्थिक एवं प्राकृतिक वातावरण का अध्ययन किया जाता हैं। मानव का प्राकतिक वातावरण से धनिष्ठ संबंघ होता है। एक और मानव के क्रिया-कलाप और आचार-विचार प्राकृतिक वातावरण से प्रभावित होते हैं। 

तो दूसरी ओर मानव भी अपने क्रिया-कलापों द्वारा प्राकीतिक वातावरण को प्रभावित करता हैं। साथ ही सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण भी करता है। इस प्रकार मानव और वातावरण का संबंध-मानव भगोल के अध्ययन का विषय है।

आधनिक भूगोल के अध्ययन में व्याख्यात्मक दुष्टिकोण अधिक महत्वपूर्ण समझा जाता है। मानव भूगोल में मानव को केंद्र मानकर प्राकतिक वातावरण का अध्ययन किया जाता है। किसी प्रदेश की स्थालाकृति, जलवायु, मिट्टी, वनस्पति, जल-राशियां, खनिज संपत्ति, जीव-जन्तु आदि का मानव के रहन-सहन, कार्य-कलाप और आचार-विचार पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

मानवीय क्रियाए और प्राकृतिक वातावरण की दशाएं परिवर्तनशील होती हैं, अतः इनका पारस्परिक संबंध भी परिवर्तनशील होता है। इस परिवर्तनशील संबंध का विस्तृत अध्ययन ही मानव भूगोल है।

मानव भूगोल की परिभाषा

विभिन्न भूगोलवेत्ताओं ने अपनी परिभाषाओं में इसी तथ्य को माना है। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम चरण में जर्मनी के विख्यात भगोलवेताओं मे से एक फ्रेडरिक रेटजेल को मानव भुगोल का जनक कहा जाता हैं।

उन्होंने सन् 1882 में एंथ्रोपोज्योग्राफी नामक बुक को प्रकाशित कर मानव भुगोल का प्रारंभ किया था। रेटजेल के अनुसार मानव सर्वंत्र वातावरण से सम्बनधित होता है। जो स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग है।

अमेरिकी भूगोल विदुपी कुमारी ई. सी. सेम्पूल ने इस विचारधारा को प्रोत्साहन दिया। इनके विचार में प्राकृतिक वातावरण तथा मानव दोनों ही क्रियाशील होते हैं। जिनमें प्रत्येक क्षण परिवर्तन होता रहता है। इन्होने मानव भूगोल की निम्नलिखित परिभाषा दी हैं। क्रियाशील मानव एवं गतिशल पृथ्वी के परिवर्तनशील सम्बन्धो का अध्ययन ही मानव भगोल है।

फ़्रांसिसी मानव भूगोल वेता वाइडल डि लॉ ब्लॉश ने मानव भगोल को भौगोलिक विज्ञान का एक अभिनव अंकुर माना है और इसे विज्ञान के स्तर पर रखा हैं। इनके मत्तानुसार - मानव जाति एवं मानव समाज एक प्राकृतिक वातावरण के अनुशार ही विकसित होते है और मानव भूगोल इसके अध्ययन का मार्ग प्रशस्त करता है। 

मानव भुगोल पृथ्वी एवं मानव के पारस्परिक सम्बन्धों को एक नयी संकल्पना प्रदान करता हैं। वह पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों के पारस्परिक सम्बन्धो का ज्ञान होता है।

Related Posts